निवेश के मामले में सबसे आम सवाल है – फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) या म्यूचुअल फंड? सही विकल्प आपकी ज़रूरत, जोखिम उठाने की क्षमता और निवेश की अवधि पर निर्भर करता है. आइए आसान भाषा में समझते हैं कि कौन-सा विकल्प आपके लिए सही रहेगा
फिक्स्ड डिपॉजिट (FD): सुरक्षित लेकिन सीमित रिटर्न
FD में पैसा बैंक या वित्तीय संस्थान में तय ब्याज दर पर जमा किया जाता है, यह सुरक्षित होता है और निश्चित रिटर्न देता है.
फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) के फायदे
- पूंजी पूरी तरह सुरक्षित रहती है
- निश्चित और गारंटीड रिटर्न मिलता है
- 5 लाख रुपये तक की बीमा सुरक्षा उपलब्ध है
फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) के नुकसान
- ब्याज दरें अपेक्षाकृत कम होती हैं और महंगाई को मात नहीं दे पातीं
- ब्याज पूरी तरह टैक्सेबल होता है
- समय से पहले पैसा निकालने पर पेनल्टी लगती है
म्यूचुअल फंड: अधिक रिटर्न की संभावना लेकिन जोखिम भी
म्यूचुअल फंड में पैसा शेयर बाजार, बॉन्ड्स और अन्य परिसंपत्तियों में निवेश किया जाता है. यह लंबी अवधि में अच्छे रिटर्न दे सकता है, लेकिन इसमें बाज़ार जोखिम भी होता है.
म्यूचुअल फंड के प्रकार –
- इक्विटी फंड: शेयर बाजार में निवेश, ज्यादा रिटर्न की संभावना लेकिन ज्यादा उतार-चढ़ाव
- डेब्ट फंड: कम जोखिम वाले फंड, लेकिन FD से बेहतर रिटर्न की संभावना
म्यूचुअल फंड के फायदे
- महंगाई को पछाड़ने की क्षमता
- SIP के जरिए छोटे-छोटे निवेश संभव
- FD की तुलना में अधिक लिक्विडिटी
म्यूचुअल फंड के नुकसान
- बाजार जोखिम के अधीन होता है
- टैक्स नियमों में बदलाव से डेब्ट फंड के फायदे कुछ कम हुए हैं
- कुछ फंड्स में जल्दी निकासी पर एग्जिट लोड लग सकता है
टैक्स और लिक्विडिटी का असर
- FD: ब्याज टैक्सेबल होता है, ₹40,000 (सामान्य व्यक्ति) और ₹50,000 (सीनियर सिटीजन) तक TDS छूट मिलती है.
- डेब्ट फंड: सभी गेन अब शॉर्ट टर्म माने जाएंगे और टैक्स इनकम स्लैब के अनुसार लगेगा, इंडेक्सेशन का लाभ नहीं मिलेगा
- FD में समय से पहले पैसा निकालने पर पेनल्टी लगती है
- म्यूचुअल फंड में ओपन-एंडेड फंड्स से कभी भी पैसा निकाला जा सकता है.
आपके लिए कौन-सा विकल्प सही है?
अगर आपकी प्राथमिकता पूंजी की सुरक्षा और निश्चित रिटर्न है, तो FD बेहतर है. यह उन लोगों के लिए सही विकल्प है, जो जोखिम नहीं लेना चाहते और अपने निवेश को पूरी तरह सुरक्षित रखना चाहते हैं. दूसरी ओर, यदि आपका लक्ष्य महंगाई को पछाड़ना और लंबी अवधि में अधिक रिटर्न हासिल करना है, तो म्यूचुअल फंड एक अच्छा विकल्प हो सकता है.
खासकर इक्विटी म्यूचुअल फंड लंबी अवधि में अच्छे रिटर्न दे सकते हैं. अगर आप छोटे-छोटे निवेश करना चाहते हैं, तो SIP (सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) एक उपयुक्त विकल्प है, जिससे आप धीरे-धीरे बड़ा फंड बना सकते हैं.
टैक्स बचाने के नजरिए से भी म्यूचुअल फंड कुछ हद तक फायदेमंद साबित हो सकता है, खासकर ELSS (Equity Linked Savings Scheme) जैसी योजनाओं में निवेश करने पर कर लाभ मिलता है.
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नमस्कार, मेरा नाम सत्यजित सिंह है, मै म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर, एलआईसी एजेंट और वेब कंटेट क्रियेटर हूँ, मैंने म्यूचुअल फंड, स्टॉक, इन्सुरेंस और बिजनेस से संबंधित हजारों आर्टिकल लिखें हैं, निवेश संबंधित खबरों के लिए आप मुझसे जुड़ सकते हैं – धन्यवाद