Investment : महान निवेशक ने बनाई इस तरीके से अपार दौलत, आप भी अपनाएं यह तरीका

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शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव आम बात है, लेकिन घबराकर गलत फैसले लेना निवेशकों के लिए नुकसानदायक हो सकता है. जब बाजार गिरता है, तो कई लोग डरकर अपनी SIP बंद करने का सोचते हैं, लेकिन एक्सपर्ट्स की राय इससे अलग है.

सोचिए, अगर आप किसी पहाड़ी रास्ते पर गाड़ी चला रहे हैं और हल्की धुंध आ जाए, तो क्या आप सफर बीच में ही छोड़ देंगे? नहीं, आप धीरे-धीरे आगे बढ़ेंगे और जब धुंध छटेगी, तो रास्ता फिर साफ दिखने लगेगा, शेयर बाजार भी ऐसा ही है.

बाजार में उतार-चढ़ाव आता रहेगा, लेकिन जो धैर्य रखते हैं, वे लंबे समय में मुनाफा कमाते हैं. SIP एक ऐसा तरीका है जो आपको बाजार के हर हालात में निवेश जारी रखने की सुविधा देता है, जिससे कंपाउंडिंग का फायदा मिलता है.

इतिहास भी यही कहता है कि जो लोग घबराकर निवेश बंद कर देते हैं, वे बाद में पछताते हैं, जबकि जो लोग धैर्य से बने रहते हैं, वे सफलता हासिल करते हैं. इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि समझदारी से निवेश बनाए रखने की जरूरत है.

चौंकाने वाला ट्रेंड देखने को मिला है

SIP स्टॉपेज रेश्यो पहली बार 100% के पार चला गया, यानी जितने नए SIP शुरू हो रहे हैं, उतने ही बंद भी हो रहे हैं. कोविड के बाद निवेशकों ने बड़ी गिरावट नहीं देखी थी, लेकिन अब अनिश्चितता के चलते नए SIP रजिस्ट्रेशन 21% घटे और कैंसलेशन 11% बढ़ें, जनवरी 2025 में SIP बंद करने की दर 37% बढ़ गई, जिससे यह रेश्यो और बढ़ा, फरवरी में यह गिरावट नए SIP कम होने की वजह से आई, न कि कैंसलेशन से, एक्सपर्ट्स के मुताबिक, घबराकर SIP बंद करने से कंपाउंडिंग का फायदा नहीं मिल पाता, इसलिए धैर्य रखना जरूरी है.

लॉन्ग-टर्म निवेश जरूरी

कई निवेशक बाजार गिरने पर SIP बंद कर देते हैं, सोचते हैं कि बाद में बेहतर समय पर दोबारा निवेश करेंगे, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि धैर्य ही असली वेल्थ क्रिएटर है.

  • अगर कोई निवेशक 25 साल तक 1,000 रुपये की SIP करता है और उसे 12% सालाना रिटर्न मिलता है, तो उसका निवेश 17 लाख रुपये तक पहुंच जाता है.
  • वहीं, अगर कोई सिर्फ 15 साल तक 15% रिटर्न पर निवेश करे, तो उसे केवल 6.2 लाख रुपये ही मिलते हैं.

यानी ज्यादा रिटर्न से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता, बल्कि लंबे समय तक निवेश बनाए रखना असली खेल बदलता है

वॉरेन बफेट की संपत्ति हाई रिटर्न से नहीं, बल्कि धैर्यपूर्वक लंबे समय तक निवेश बनाए रखने से बनी है –

कंपाउंडिंग की ताकत

वेंचुरा की रिपोर्ट के अनुसार, बाजार में गिरावट के दौरान SIP बंद करने के बजाय निवेश बनाए रखने से कंपाउंडिंग का पूरा लाभ मिलता है. अगर किसी निवेशक ने 1 मार्च 2000 को 1,000 रुपये की SIP शुरू की और 2008 की वैश्विक मंदी में इसे बंद कर दिया, या मार्च 2020 में कोविड-19 क्रैश के दौरान रोक दिया, तो उसका रिटर्न उन निवेशकों से काफी कम होता जिन्होंने फरवरी 2025 तक बिना रुके SIP जारी रखी, यह स्पष्ट दिखाता है कि लॉन्ग टर्म निवेश ही असली वेल्थ क्रिएटर है.

शुरुआती 12 वर्षों में, पोर्टफोलियो की वैल्यू को 3.2 गुना बढ़ने में जितना समय लगा, उससे कहीं तेजी से 2020 के बाद सिर्फ 1.2 गुना अतिरिक्त निवेश पर 3.9 गुना बढ़ोतरी हुई. यह दिखाता है कि बाद के वर्षों में कंपाउंडिंग कितनी तेजी से असर दिखाती है.

यह प्रभाव सिर्फ इक्विटी तक सीमित नहीं है. उदाहरण के लिए, अगर किसी ने PPF में 1,000 रुपये की SIP शुरू की और 20 साल तक निवेश किया, तो कुल 2.4 लाख रुपये का निवेश 5.2 लाख रुपये बन गया, लेकिन अगर इसे 25 साल तक जारी रखा, तो 3 लाख रुपये का निवेश 8 लाख रुपये तक पहुंच गया

सिर्फ आखिरी 5 वर्षों में ही 60,000 रुपये अतिरिक्त निवेश से 2.2 लाख रुपये का फायदा हुआ, यही कारण है कि वॉरेन बफेट की नेटवर्थ भी अंतिम वर्षों में तेजी से बढ़ी—बस फर्क इतना था कि यहां कंपाउंडिंग दर 7% थी

संख्या कुछ कहती है, हकीकत कुछ

HDFC Flexi Cap Growth FundMar 2000 – Mar 2008Mar 2000 – Mar 2020Mar 2000 – Feb 2025
Invested Value (₹)97,000 (2.5x)2,41,000 (1.2x)3,00,000
Current Value (₹)4,54,182 (3.2x)14,71,346 (3.9x)56,79,491

रिपोर्ट के अनुसार, अगर किसी ने जनवरी 1995 में HDFC फ्लेक्सी कैप फंड में 1,000 रुपये की SIP शुरू की होती, तो आज उसका 1.9 करोड़ रुपये का कॉर्पस होता, लेकिन असल सवाल यह है—कितने निवेशकों ने वाकई 25 साल तक निवेश बनाए रखा? शायद 1% या 2%? और उनमें से भी कितनों को यह निवेश याद भी रहा?

डर, बदलती प्राथमिकताएं और जल्दी मुनाफा बुक करने की चाह ने अधिकतर निवेशकों को पहले ही बाहर कर दिया, इससे पहले कि कंपाउंडिंग अपना असली जादू दिखा पाती.

विडंबना यह है कि SIP में असली वेल्थ आखिरी वर्षों में बनती है, लेकिन ज्यादातर लोग वहां तक पहुंच ही नहीं पाते, SIP सिर्फ एक निवेश तरीका नहीं, बल्कि लॉन्ग टर्म में इनकम को वेल्थ में बदलने का टूल है, इसे जारी रखकर रिटायरमेंट, बच्चों की पढ़ाई और अन्य वित्तीय लक्ष्यों के लिए मजबूत फंड तैयार किया जा सकता है.

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