भारत में म्यूचुअल फंड का इतिहास, 60 साल की रोमांचक यात्रा

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आज जब हम SIP, Equity Fund और Index Fund जैसी चीज़ों की बातें करते हैं तो लगता है मानो ये सब हमेशा से हमारे पास थे, लेकिन हकीकत ये है कि भारत की म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है, चलिए, इस सफ़र को 4 बड़े पड़ावों में समझते हैं –

पहला पड़ाव (1964 – 1987): UTI का जन्म और सुनहरी शुरुआत

भारत में म्यूचुअल फंड की कहानी शुरू हुई 1963 में, जब सरकार और RBI ने मिलकर Unit Trust of India (UTI) बनाया

  • पहला स्कीम था Unit Scheme 1964, जिसे आम जनता ने हाथों-हाथ लिया।
  • धीरे-धीरे UTI इतना पॉपुलर हुआ कि 1988 तक उसके पास 6,700 करोड़ रुपये AUM (Assets Under Management) जमा हो गया

कह सकते हैं ये दौर “एक ही खिलाड़ी – UTI” वाला था

दूसरा पड़ाव (1987 – 1993): Public Sector का एंट्री

अब मैदान में सिर्फ UTI ही नहीं था, 1987 से पब्लिक सेक्टर बैंकों और इंश्योरेंस कंपनियों ने भी कदम रखा।

  • SBI Mutual Fund (जून 1987) – सबसे पहला नॉन-UTI फंड
  • इसके बाद Canara Bank, PNB, Indian Bank, Bank of India, Bank of Baroda, LIC MF और GIC MF भी जुड़ गए

1993 तक AUM 47,000 करोड़ रुपये पहुँच चुका था, मतलब खेल बड़ा हो रहा था

तीसरा पड़ाव (1993 – 2003): Private Players की धूम

1993 में SEBI ने म्यूचुअल फंड रेगुलेशन लाकर खेल के नियम तय किए, और यहीं से शुरू हुई Private Mutual Funds की एंट्री

  • पहला प्राइवेट फंड था Kothari Pioneer (अब Franklin Templeton)
  • विदेशी कंपनियों ने भी भारत में फंड शुरू किए
  • कई mergers और acquisitions हुए

2003 तक 33 Mutual Funds और 1.21 लाख करोड़ रुपये AUM हो चुका था, इस समय UTI अब भी सबसे बड़ा खिलाड़ी था

चौथा पड़ाव (2003 से अब तक): नई UTI और Growth की उड़ान

2003 में UTI का बड़ा बदलाव हुआ –

  • UTI को दो हिस्सों में बांटा गया:
    1. Specified Undertaking of UTI (SUUTI) – पुरानी स्कीमें, सरकार के अंडर
    2. UTI Mutual Fund – SEBI के रेगुलेशन के हिसाब से, नए ढर्रे पर

इस बदलाव के असर

  • पारदर्शिता और निवेशकों का भरोसा बढ़ा
  • प्राइवेट और विदेशी AMCs ने एंट्री ली
  • स्कीमों की संख्या और विकल्प तेजी से बढ़े

नतीजा
2003 के बाद म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री ने असली ग्रोथ पकड़ी
(जुलाई 2025 तक) AUM 75.36 ट्रिलियन (75.36 लाख करोड़ रुपये) पहुँच चुका है.
मतलब, 20 साल में इंडस्ट्री लगभग 15 गुना से ज्यादा बढ़ चुकी है.

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